कभी तेरा नाम सोचकर डर जाया करता था मैं
अब तेरे ज़िक्र पर सोच में पढ़ जाता हूँ मैं
तू हंसती होगी खेलती होगी
या एक बच्चे की तरह लडती झगडती होगी
मुझे देखकर प्यार से गले लगाएगी या
इठलाकर मूह फेर लेगी तू
जो भी हो इतना तो यकीन हैं मुझको
की एक न एक दिन मुलाक़ात तो होगी तुझसे
और जैसी भी हो गोरी काली
ज़िन्दगी की तरेह मेरा दामन न छोड़ेगी तू
और हाथ पकड़ अपने साथ ले जायेगी तू