Sunday, May 9, 2010

kuch fursat ke pal........

इस भागती ज़िन्दगी में कुछ लम्हे फुर्सत के चाहता हूँ
वो बेफिक्री के दिन फिर से जीना चाहता हूँ
तपती धुप में आसमान को टकटकी लगा देखना
वो कटी पतंग की डोर हाथ में आने के बाद
मिली ख़ुशी को ख़ुशी से बयान न कर पाना
बारिश से पहले काले बादलों के आने पर
बिज़ली से भी तेज आवाज में सबको बताना
न सर्दी न कपड़ो की चिंता, बस भीगते रहना
अब तोह बारिश का पता सडको पर लगे जाम से लगता हैं
बारिश के मज़े का तो पता नहीं पर
भागती ज़िन्दगी के रुक जाने का डर लगता हैं
वो दोस्तों की ख़ुशी में दिल से खुश होना
हर गम से बेखबर, हर तरफ ख़ुशी बिखेरना
अब तो हर ख़ुशी में एक गम छुपा लगता हैं
हँसते हैं हम पर अन्दर कोई अपना रोता लगता हैं