Thursday, August 18, 2011

My Love

मेरी मोहब्बत बस कागज़ में रहती हैं

जहा दिल की जगह चेहरा देखा जाता हैं
जाति देखी जाती हैं, मज़हब देखा जाता हैं
चंद सिक्कों में इंसान तो क्या ईमान ख़रीदे जाते हैं
झूठी इज्ज़त के नाम पर अपना खून बहाया जाता हैं

जहा भावनाएं गुज़रे ज़माने के खिलोने के सिवा कुछ नहीं
रिश्ते समझोते का मुखोटे ओड़ी कठपुतलियों से बढकर नहीं
परम्परायों के नाम पर  पुराने ढकोसलो को ढोया जाता हैं
किसी की झोली भरी, तो किसी की खाली करी जाती हैं

इस मतलब परस्त दुनिया में
मेरी मोहब्बत बस कागज़ में रहती हैं



मैं

मैं  वो भावना हूँ जो अल्फाज़ धुन्ड़ता हैं, 
अपनी पहचान बनाने के लिए हंसकर तो कभी रोकर 
अनजाना डर रोकता हैं,  नयी नयी राहों पर चलने से 
पर मंजिलों की खुशबु आती हैं,
इन्ही न देखी न सुनी राहों से कही 
कहता हैं यह चेतन न रोको न टोको मुझे
बह जाने दो मुझे वक़्त के दरिया में कहीं
जो न मिल सके हम फिर कभी
करना न उदास अपनी आँखों को 
देख कर आसमान में पंछी को किसी
कर लेना याद मुझ पंथी को...

Wednesday, August 10, 2011

आम का पेड़

बचपन में मेरी एक आम के पेड़ से दोस्ती थी
मेरी जैसे उसके और भी बहुत से दोस्त थे
पर मैं उनकी तरेह उससे कुछ नहीं मांगता था
वो तो वो ही दो चार आम मुझे दे दिया करता था
जब मैं थक कर उसकी गोद में सो जाया करता था
उसके बाकी दोस्त मुझसे इस बात पर चिड़ते थे की
क्यों वो अपना सबसे मीठा फल मुझे ही देता हैं
सबको लगता था मैं उसका लाडला हूँ
पर सहीं जवाब न उन्हें पता था न मुझे

अब इस बात को बरसो बीत चुके हैं
सब अपनी ज़िन्दगी में मशरूफ हो चुके हैं
हर तरफ कंक्रीट के जंगल बनते जा रहे हैं
पर जब कभी मैं उस तरफ से गुज़रता हूँ
तो मुझे उस आम के पेड़ से नज़र बचा निकलना पड़ता हैं
क्योंकि मुझे देख वो भोलेपन से एक ही सवाल करता हैं

दोस्त मैं अपनी दोस्ती की कीमत तो नहीं मांगता बस
इतना पूछना चाहता हूँ,
क्या मैं तुम्हें एक और बरस मीठा फल दे पायूँगा ???

Tuesday, August 9, 2011

ऐ दिल तुड़ा कर दोस्तों की नींदें हराम करने वालो
अपनी सस्ती शायरी से शायरों का नाम बर्बाद करने वालो
दरखास्त हैं तुमसे
दरखास्त हैं तुमसे
क्यों मरते हो किसी के आंसूं पर
अरे उठो बुजदिलों मर्द बनो
बन सकते हो तो किसी की हंसी का हिस्सा बनो
किसी जरूरतमंद की दुआओं का कारण बनो
ज्यादा नहीं तो बस एक अच्छे इंसान बनो
पर भगवान् के लिए अपने, अपनों की नींदें मत हराम करो

इस रंजो गम से भरी दुनिया 
जहाँ लोगो के गम भूख और प्यास 
से ऊपर उठ न सके हैं
वहा मेरे दोस्त तुम अपने 
महंगे उपहारों की बेकद्री पर गम ज़दा न हो
मेरा मशवरा हैं तुमसे ऐ कमबख्तो 

मरते तो सब हैं पर कुछ ऐसा करके जायो
की ज़िन्दगी  खुद क़दमों पर आकर बोले
की ऐ ज़ालिम मुझे तुझ पर नाज़ हैं
मुझे तुझ पर नाज़ हैं....