Tuesday, August 9, 2011

ऐ दिल तुड़ा कर दोस्तों की नींदें हराम करने वालो
अपनी सस्ती शायरी से शायरों का नाम बर्बाद करने वालो
दरखास्त हैं तुमसे
दरखास्त हैं तुमसे
क्यों मरते हो किसी के आंसूं पर
अरे उठो बुजदिलों मर्द बनो
बन सकते हो तो किसी की हंसी का हिस्सा बनो
किसी जरूरतमंद की दुआओं का कारण बनो
ज्यादा नहीं तो बस एक अच्छे इंसान बनो
पर भगवान् के लिए अपने, अपनों की नींदें मत हराम करो

इस रंजो गम से भरी दुनिया 
जहाँ लोगो के गम भूख और प्यास 
से ऊपर उठ न सके हैं
वहा मेरे दोस्त तुम अपने 
महंगे उपहारों की बेकद्री पर गम ज़दा न हो
मेरा मशवरा हैं तुमसे ऐ कमबख्तो 

मरते तो सब हैं पर कुछ ऐसा करके जायो
की ज़िन्दगी  खुद क़दमों पर आकर बोले
की ऐ ज़ालिम मुझे तुझ पर नाज़ हैं
मुझे तुझ पर नाज़ हैं....

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