यूँ तोह ज़िन्दगी पहले भी हसीं कम न थी
सभी कुछ था पर तुझसे मिलने की बेकरारी न थी
चलते थे कदम अनजान राहो पर
कुछ सुनकर रुक जाया करते थे
राहें थी, मंजिलें थी, पर मंजिलों की जुस्तज़ूं न थी
सभी कुछ था पर तुझसे मिलने की बेकरारी न थी
ख्याबों को तेरे ख्यालों के रंग से
गुलज़ार करने की कोशिश किया करते थे
ख्याब थे रंग थे पर ख्याबों की ताबीर न थी
सभी कुछ था पर तुझसे मिलने की बेकरारी न थी
ye haal tera pahle bhi humne dekha hai
ReplyDeletejab teri palkoon ke peeche uska chehra chupa dekha hai
tum kahte ho ki zindagi pahle bhi hasi kam na thi
par tere hoton ki hasi to uski us tasveer se thi
jo tune apne dil ke kone mein saja rakhi thi