Tuesday, January 12, 2010

एक ख्याल

यूँ तोह ज़िन्दगी पहले भी हसीं कम न थी
सभी कुछ था पर तुझसे मिलने की बेकरारी न थी

चलते थे कदम अनजान राहो पर
कुछ सुनकर रुक जाया करते थे
राहें थी, मंजिलें थी, पर मंजिलों की जुस्तज़ूं न थी
सभी कुछ था पर तुझसे मिलने की बेकरारी न थी

ख्याबों को तेरे ख्यालों के रंग से
गुलज़ार करने की कोशिश किया करते थे
ख्याब थे रंग थे पर ख्याबों की ताबीर न थी
सभी कुछ था पर तुझसे मिलने की बेकरारी न थी

1 comment:

  1. ye haal tera pahle bhi humne dekha hai
    jab teri palkoon ke peeche uska chehra chupa dekha hai

    tum kahte ho ki zindagi pahle bhi hasi kam na thi
    par tere hoton ki hasi to uski us tasveer se thi
    jo tune apne dil ke kone mein saja rakhi thi

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